मुसाफिर पर कविता
Musafir Poem- दोस्तों यह कविता उन लोगो पर आधारित है जो कुछ हासिल करने के लिए निकल चुके है फिर भी लोगो के ताने सुनना उनके लिए मज़बूरी है|वास्तव में एक अच्छा राही वही है जो रास्ते में आई कठनाईयो को मात देकर भी आगे बढ़ता जाता है|
हम तो निकले हैं मुसाफिर बनके यारा, 
 हमको हम नहीं लोगों के तानों ने मारा ll 
 जिस राह को पकड़ा वहां भी गम है सारा,
  अपनी कश्ती चले जैसे यूं बेसहारा ll 
 लोगों की नजरों ने समझा यूं गवारा, 
 गलियों में फिरते हैं जैसे सभी आवारा ll 
 जिस राज का हमने यहां है लिया सहारा,
  उस राज के खातिर ही वह शातिर ने माराll
 आखिर छोड़ दिया हमने भी हो सभी सहारा, 
जिसने मेरे लिए हि कांटों को संवाराll
We have come out as a traveler  
We will not be hit by the taunts of people  
The path that is caught there is also sad, 
Sara   Walk your kayak like this  The eyes of the people understood this way,
  All wanders in the streets like a wanderer  
The secret that we have here is Sahara,  
 For the sake of that secret,
 he killed the vicious person    After all, 
we also left all support Who decorated the thorns for me
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Bahut Acha blog
ردحذفgood job
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